अगर आपके शरीर का वजन बहुत अधिक बढ़ रहा है या घट रहा है, अगर आप बहुत चिड़चिड़ा महसूस करते हैं या फिर आप पूरा दिन थका हुआ महसूस करते हैं तो आप थायरॉइड की समस्या से पीड़ित हो सकते हैं | थाइरोइड के बारे में जानने से पहले ये जान लें कि थायराइड क्या है | फिर इस लेख में हम आपको बताएंगे थायराइड के लक्षण, प्रकार, कारण और इसे ठीक करने के आयुर्वेदिक उपचार |
भोजन में आयोडीन की कमी और अधिक तनाव के कारण भी ये समस्या हो जाती है | अधिकतर महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान ये समस्या हो जाती है क्यूंकि इस समय में महिलाऐं अधिक तनाव लेती हैं इसलिए गर्भावस्था के दौरान किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लेकर माता और पिता दोनों को ही thyroid का टेस्ट अवश्य करवाना चाहिए|
थायराइड की समस्या होने पर अधिकतर लोगो की इसका पता नहीं चलता है और हम इसे छोटी मोटी गले की परेशानी समझ कर छोड़ देते हैं इस समस्या में गले में छोटी सी गांठ भी हो सकती है |
Table of Contents
थायराइड क्या है – What is Thyroid in Hindi

थायरॉइड हमारे गर्दन के आगे वाले हिस्से में स्थित thyroid cartilage के नीचे की एक ग्रंथि है | इस ग्रंथि का आकार तितली की भांति होता है | थायराइड ग्रंथि थायरोक्सिन नामक हार्मोन का निर्माण करती है |
थायरोक्सिन नाम का ये हॉर्मोन टी 4 के नाम से भी जाना जाता है जो इस थायरॉइड ग्रंथि के द्वारा छोड़ा गया मुख्य हॉर्मोन होता है | ये हार्मोन हमारे शरीर के कार्यो को सुचारू रूप से चलाता है जैसे कि ये हार्मोन शरीर के मेटाबोलिज्म को नियंत्रित रख भोजन को ऊर्जा में बदलता है |
मेटाबोलिज्म को कण्ट्रोल करना थायराइड ग्रंथि का मुख्य कार्य होता है जिससे हम जो भी जल, वायु और भोजन लेते हैं वो सही तरह से पच कर हमारे शरीर को उर्जा देने का कार्य करता है | इस तरह से मेटाबोलिज्म से हमारे शरीर में विघटन और पुनर्गठन की क्रिया होती है |
थायरॉइड हॉर्मोन शरीर की ऊर्जा, शरीर के तापमान और शरीर के अंगों की ग्रोथ में अहम् भूमिका निभाते हैं | इस ग्रंथि के कम या ज्यादा स्त्राव के कारण से thyroid की समस्या हो जाती है |
वैसे तो थायरॉइड की समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों में हो सकती है लेकिन महिलाओं में ये समस्या अधिक होती है | थाइरोइड की समस्या से गॉइटर की समस्या से लेकर कैंसर तक की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है |
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थायराइड के प्रकार – Types of Thyroid in Hindi

जैसा कि आप जानते हैं थाइरोइड की समस्या थायराइड ग्रंथि के द्वारा छोड़े गए थायरोक्सिन नामक हार्मोन के अनियमित स्राव के कारण होती है | इसी थायरोक्सिन हॉर्मोन के कम या ज्यादा स्राव के आधार पर ये समस्या मुख्यत दो प्रकार की होती है |
- हाइपोथायरायडिज्म
- हाइपरथायरायडिज्म
हाइपोथायरायडिज्म – Hypothyroidism
जब थायराइड ग्रंथि सामान्य की तुलना में कम थायरोक्सिन का स्त्राव करती है तो उसे हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है | Hypothyroidism की बीमारी ज़्यादातर महिलाओं को हो जाती है जिससे कि उनका metabolism औसत से काफ़ी कम हो जाता है |
इस तरह के थाइरोइड को under active thyroid भी कहा जाता है |
हाइपोथायरायडिज्म की समस्या थायरॉइड ग्रंथि, पिट्यूटरी ग्रंथि या हाइपोथैलेमस में पैदा हुई किसी परेशानी की वजह से हो सकती है | इस समस्या में मेटाबोलिज्म दर बहुत कम हो जाती है |
हाइपरथायरायडिज्म – Hyperthyroidism
हाइपरथायरायडिज्म की समस्या तब होती है जब थाइरोइड ग्रंथि सामान्य की तुलना में अधिक थायरोक्सिन का स्त्राव करती है | यह समस्या बहुत कम देखने को मिलती है | इस तरह के थाइरोइड को overactive thyroid भी कहा जाता है |
अधिक हॉर्मोन वाली दवाएं लेने से और आयोडीन की अधिकता से ये परेशानी हो सकती है | इस समस्या के लक्षण बहुत बार दिखाई नहीं पड़ते | आइये अब आपको बताते है दोनों प्रकार के थाइरोइड के लक्षणों के बारे में |
इसके अलावा थाइरोइड की समस्या के कुछ ओर प्रकार भी हैं जैसे कि
थाइरोइड कैंसर – Thyroid Cancer
इस तरह के कैंसर की समस्या भी ज्यादातर कम उम्र की महिलाओं में होती है जिन्हें थायरॉइड की समस्या हो | यह कैंसर तब होता है जब थायरॉइड में सेल्स अपने आप बढ़ने लगते हैं और एक टयुमर का आकार ले लेते हैं | इस तरह के कैंसर के भी बहुत से प्रकार होते हैं |
लेकिन अगर इस तरह के कैंसर का जल्दी पता चल जाए तो ये कैंसर आसानी से सही उपचार के साथ ठीक किया जा सकता है |
थाइरोइड गोइटर (घेंघा) – Thyroid Goiter
गोइटर की समस्या में थाइरोइड ग्रंथि असामान्य रूप से बढ़ जाती है | इससे गले में सूजन सी दिखाई देने लगती है | ये समस्या हाइपोथायरायडिज्म, हाइपरथायरायडिज्म, थायराइड नोड्यूल या सामान्य रूप से थायरोक्सिन का स्त्राव करने वाली ग्रंथि में भी हो सकती है |
ये समस्या मुख्यत भोजन में आयोडीन की कमी की वजह से होती है |
थाइरोइड नोड्युलस – Thyroid Nodules
थाइरोइड में गांठों की वजह से ये समस्या हो सकती है | संख्या में ये गांठे एक या एक से अधिक भी हो सकती हैं | ये गांठें सिस्ट्स, ट्यूमर या फिर कैंसर की गांठ भी हो सकती है | थाइरोइड नोड्युलस के कैंसर की गांठ की सम्भावना बहुत कम होती है |
थायराइड के लक्षण – Thyroid Symptoms in Hindi

थाइरोइड की बीमारी दो प्रकार मुख्यत दो प्रकार की होती है जिसमें थायराइड रोग के लक्षण भी भिन्न होते हैं | सबसे पहले जान लेते हैं हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण |
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण – Hypothyroidism Symptoms
- इसमें शरीर बहुत अधिक थका थका महसूस करता है |
- इस समस्या में वजन बहुत अधिक बढ़ जाता है |
- व्यक्ति अधिक तनाव में रहने लगता है |
- यादाश्त भी कमजोर हो जाती है |
- जोड़ों व मासपेशियों में दर्द होता है |
- महिलाओं में पीरियड्स के दौरान अधिक या लम्बे समय तक स्राव होता है |
- त्वचा में रूखापन आ जाता है |
- कब्ज की परेशानी हो जाती है |
- बार बार सर्दी जुकाम की समस्या हो जाती है |
- थाइरोइड ग्रंथि में सूजन हो सकती है |
हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण – Hyperthyroidism Symptoms
- इस समस्या में वजन बहुत अधिक घटने लगता है |
- नींद कम आती है |
- मासपेशियां कमजोर हो जाती है |
- चिडचिडापन और नर्वसनेस बढ़ जाती है |
- हृदय गति का तेज होना |
- बहुत अधिक पसीना आना |
- बार बार मल त्याग की इच्छा |
- बालों का कमजोर होना और टूटना |
- आँखों का बाहर निकलना |
- महिलाओं में मासिक धर्म में कम स्राव होना |
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थाइरोइड की बीमारी के कारण – Thyroid Causes in Hindi

थाइरोइड ग्रंथि के हॉर्मोन बनाने का कार्य कई चरणों में पूरा होता है | यह कार्य दिमाग के एक हिस्से में शुरू होता है जिसे हाइपोथैलेमस (hypothalamus) कहा जाता है |
हाइपोथैलेमस thyrotropin releasing hormone यानि TRH नाम का हॉर्मोन रिलीज़ करता है | Thyrotropin releasing hormone नाम का ये हॉर्मोन pituitary gland से thyroid stimulating hormone यानि TSH रिलीज़ करवाता है |
TSH नाम का ये हॉर्मोन थाइरोइड ग्रंथि तक पहुँच कर L-thyroxine (T4) और triiodothyronine (T3) नाम के हॉर्मोन का निर्माण करवाता है | थाइरोइड को इनका निर्माण करने के लिए पर्याप्त मात्रा में आयोडीन की भी आवश्यकता पड़ती है |
इसलिए थाइरोइड ग्लैंड हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्लैंड के द्वारा नियंत्रित किया जाता है | इनमें किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर भी थाइरोइड की बीमारी हो सकती है |
हाइपोथायरायडिज्म के कारण – Hypothyroidism Causes
इस प्रकार का थायरॉइड पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक होता है और आयु बढ़ने की साथ इसकी सम्भावना बढ़ती जाती है | टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 10 में से 1 युवा हाइपोथायरायडिज्म की बीमारी से ग्रसित है |
इसके अलावा महिलाओं में इसके होने की सम्भावना पुरुषों की अपेक्षा 3 गुना ज्यादा होती है | आइये जानते हैं हाइपोथायरायडिज्म के कारण |
- आयोडीन की कमी से |
- थाइरोइड ग्रंथि की सर्जरी के कारण |
- पिट्यूटरी ग्रंथि में चोट |
- हाइपोथलमिक बीमारी के कारण |
- पिट्यूटरी ग्रंथि की बीमारी की वजह से |
- दवाओं के प्रयोग के कारण |
- हाइपरथायरायडिज्म में रेडियोएक्टिव आयोडीन ट्रीटमेंट लेने से |
- गर्भावस्था के बाद lymphocytic thyroiditis के कारण |
- Hashimoto’s thyroiditis के कारण |
हाइपरथायरायडिज्म के कारण – Hyperthyroidism Causes
हाइपरथायरायडिज्म की समस्या अनुवांशिक भी हो सकती है | अगर परिवार में किसी को ये समस्या हो तो अपने डॉक्टर को इसके बारे में जरूर बताएं | इस बीमारी के बहुत से कारण हो सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं |
- आयोडीन के अधिक सेवन से |
- ग्रेव्स डिजीज नाम की बीमारी के कारण |
- थाइरोइड ग्रंथि में सूजन के कारण |
- अधिक मात्रा में थाइरोइड हॉर्मोन (tetraiodothyronine) लेने से |
- अंडाशय में गांठ की वजह से |
- गोइटर की वजह से |
थाइरोइड टेस्ट – Thyroid Test in Hindi

थाइरोइड के लक्षणों से इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है लेकिन बहुत बार इसके लक्षणों दिखने में बहुत देर लग जाती है | इसलिए इसकी पुष्टि के लिए ब्लड टेस्ट करवाना जरूरी है |
रक्त में थाइरोइड हॉर्मोन यानि टी 4 और टी 3 की कमी या अधिकता का पता लगाने के लिए थाइरोइड फंक्शन टेस्ट करवाया जाता है | जिसमें T3, T3RU, T4, और TSH टेस्ट शामिल हैं |
रक्त में T3 और T4 हॉर्मोन का स्तर शुरू में नार्मल हो सकता है इसलिए अगर आपके डॉक्टर को लगता है कि आपको थाइरोइड की शिकायत है तो वो आपको T4 या TSH टेस्ट करवाने के लिए कह सकता है |
अगर ब्लड में T4 की मात्रा ज्यादा है तो यह हाइपरथायरायडिज्म है | अगर रक्त में TSH का स्तर ज्यादा है तो यह हाइपोथायरायडिज्म है |
थाइरोइड ट्रीटमेंट – Thyroid Treatment in Hindi
थाइरोइड का इलाज दवाओं के द्वारा संभव है | कुछ परिस्थितियों में इसके इलाज के लिए सर्जरी की जरूरत भी पड़ सकती है |
थाइरोइड के इलाज के लिए ये जान लेना जरूरी है कि थाइरोइड किस प्रकार का है | थाइरोइड का प्रकार थाइरोइड के टेस्ट से पता चल जाता है |
हाइपोथायरायडिज्म होने पर थाइरोइड हॉर्मोन की कमी को पूरा करने के लिए आजीवन थाइरोइड हॉर्मोन लेने पड़ते हैं | हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति में हॉर्मोन लेवल को कण्ट्रोल में रखने के लिए दवाओं का प्रयोग करना पड़ता है |
लम्बे समय तक दवाओं के प्रयोग से भी इसे पूरी तरह से नियंत्रण में किया जा सकता है | लेकिन समय समय पर थाइरोइड हॉर्मोन लेवल की जांच करवाना जरूरी होता है|
इसके अलावा इस परिस्थिति में कुछ स्पेशल ट्रीटमेंट्स के द्वारा हाइपरथायरायडिज्म को पूरी तरह कण्ट्रोल किया जा सकता है जैसे कि
- रेडियोएक्टिव थाइरोइड ट्रीटमेंट
- सर्जरी
रेडियोएक्टिव थाइरोइड ट्रीटमेंट – Radioactive Thyroid Treatment
इसमें दवाओं के साथ रोगी को रेडियोएक्टिव आयोडीन भी दिया जाता है | जिससे थाइरोइड ग्रंथि की कोशिकाओं को ख़तम कर दिया जाता है ताकि वो अधिक हॉर्मोन का स्राव नहीं कर सकें | ये उपाय कारगर है लेकिन इसमें कुछ लोगों में हाइपोथायरायडिज्म का खतरा पैदा हो जाता है क्यूंकि इस ट्रीटमेंट के बाद थाइरोइड ग्रंथि बहुत कम हॉर्मोन का निर्माण कर सकती है |
सर्जरी – Surgery
गोइटर का आकार बहुत अधिक बढ़ जाने, गर्भावस्था या कैंसर की सम्भावना होने की स्थिति में ही सर्जरी का विकल्प चुना जाता है | इसमें थाइरोइड ग्रंथि के बढे हुए हिस्से को निकाल दिया जाता है जिसके बाद व्यक्ति को जीवनभर हॉर्मोन दवाओं के रूप में लेने पड़ सकते हैं |
थायराइड में परहेज – Food to Avoid for Thyroid Patient
भोजन में कुछ भी खाकर हम किसी भी समस्या को बढ़ा सकते हैं वहीं कुछ बदलाव करके आप बीमारी के लक्षणों को कम भी कर सकते हैं | आइये जानते हैं कौन कौन से फूड्स आपको थाइरोइड में कम या नहीं खाने चाहिए |
हाइपोथायरायडिज्म में परहेज – Foods to Avoid with Hypothyroidism
- तली हुई चीजों का परहेज करें |
- पास्ता और चावल जैसे ग्लूटेन से भरपूर भोजन कम खाएं |
- सोया पदार्थ कम खाएं |
- चॉकलेट कम खाएं |
- शराब का सेवन न करें |
- भोजन में पत्तेदार सब्जियां जैसे गोभी और ब्रोकोली कम खाएं |
- मक्खन और मीट कम खाएं |
- सोडियम की मात्रा कम करें (डिब्बाबंद पदार्थ न खाएं) |
- कैफीन बंद करें (कॉफ़ी न पिएं) |
हाइपरथायरायडिज्म में परहेज – Foods to Avoid with Hyperthyroidism
- मैदा, मिठाइयां और केक न खाएं |
- गोभी और ब्रोकोली कम खाएं |
- भोजन में आयोडीन की मात्रा कम करें |
- दूध व दूध से बने उत्पाद कम खाएं |
- अंडे की जर्दी न खाएं |
- मछली व सी फ़ूड न खाएं |
- सोया उत्पाद कम खाएं |
थायराइड के घरेलू उपचार – Natural Remedies for Thyroid in Hindi
थाइरोइड को नियंत्रण में रखने के लिए कुछ घरेलु आयुर्वेदिक उपचार अपनाए जा सकते हैं | इनसे थाइरोइड की वजह से होनी वाली परेशानियों से बचा जा सकता है | इन घरेलु उपायों की मदद से थाइरोइड के कारण होने वाली दूसरी बहुत सी बिमारियों को भी दूर रखा सकता है |
आइये अब जान लेते हैं घरेलु उपाय जिन्हें अपना कर आप इस समस्या से बच सकते हैं और लाभ उठा सकते हैं |
- सूखे धनिया को पानी में उबाल कर पानी को खाली पेट पिएं |
- भोजन में नारियल तेल या ओलिव आयल का इस्तेमाल करें |
- अधिक फाइबर युक्त भोजन का सेवन करें |
- मेटाबोलिज्म को सही रखने के लिए व्यायाम की आदत डालें |
- पानी में हरड़ का चूर्ण मिलाकर पीने से भी थाइरोइड में आराम जल्दी मिलता है |
- तनाव को कम करने के लिए योग का सहारा ले |
- सेब का सिरका व शहद पानी में मिलाकर पीने से भी लाभ मिलता है |
- भोजन में आयोडीन की मात्रा का ख्याल रखें | आयोडीन युक्त नमक खाएं |
- थाइरोइड में कांचनार गुग्गलु का दवा के रूप में प्रयोग लाभकारी होता है |
- अदरक का सेवन करें इसके एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण थाइरोइड की समस्या नहीं बढ़ती |
- अश्वगंधा का सेवन इस समस्या में बहुत अधिक फायदेमंद है |
- तुलसी के अर्क की एक बूंद दिन में तीन बार पानी में डालकर पीने से भी इस बीमारी में लाभ होता है |
- थाइरोइड में उज्जयी प्राणायाम से लाभ पहुँचता है |
- सुबह खाली पेट गो मूत्र अर्क का सेवन करना इस समस्या में बहुत अधिक लाभकारी है |
- थाइरोइड में मुलेठी को चूसने से भी लाभ मिलता है |
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