थायराइड टेस्ट यह मापने के लिए किया जाता है कि आपकी थाइरोइड ग्रंथि ठीक तरह से काम कर रही है या नहीं | आप हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायरायडिज्म की समस्या से पीड़ित तो नहीं | आयुर्वेद उपचार उपाय वेबसाइट के माध्यम से हम आपको बताने जा हैं वो कौन कौन से परीक्षण हैं जिनसे आप थाइरोइड की समस्या का पता लगा सकते हैं |
थाइरोइड फंक्शन टेस्ट रक्त में थाइरोइड ग्रंथि के द्वारा हॉर्मोन्स का स्तर जानने के लिए किये जाने वाले टेस्ट्स की एक श्रृंखला है | जिसमें टी 3, टी 3 आरयू, टी 4 और टीएसएच शामिल हैं |

थाइरोइड ग्रंथि हमारी गर्दन के अगले हिस्से में होती है | यह ग्रंथि हमारे शरीर को सुचारु रूप से चलाने में बड़ी भूमिका निभाती है | यह ग्रंथि हमारे शरीर के मेटाबोलिज्म को नियंत्रित रखती है, हमारे शरीर में ऊर्जा का लेवल बनाए रखती है और यहाँ तक कि हमारे मूड को भी सही रखती है |
थाइरोइड की समस्या में थाइरोइड ग्रंथि कम या अधिक थायरोक्सिन का स्राव करने लगती है जिससे थाइरोइड की परेशानी पैदा होती है | जब थायराइड ग्रंथि कम थायरोक्सिन का स्त्राव करती है तो उस समस्या को हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है वहीं जब ये ग्रंथि अधिक थायरोक्सिन का स्त्राव करती है तो उसे हाइपरथायरायडिज्म कहते हैं |
अगर आप थाइरोइड के लक्षणों को महसूस करते हैं तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए | ऐसे में डॉक्टर आपको पहले टी 4 या टी एस एच टेस्ट करवाने के लिए कह सकता है |
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थायराइड टेस्ट – Thyroid Test in Hindi
थायराइड टेस्ट करवाने के लिए आपको ब्लड सैंपल देना होता है | इसके लिए आप ब्लड सैंपल किसी भी अच्छी लैब में दे सकते हैं | आप किसी भी समय ब्लड सैंपल बिना फास्टिंग के दे सकते हैं | आप इस टेस्ट को सुबह के समय करवाए तो बेहतर रहता है |
अगर आप कुछ दवाएं ले रहे हैं तो आप उन्हें लेने से पहले टेस्ट करवा लें | साथ ही अगर आप गर्भवती हैं तो अपने डॉक्टर को इसके बारे में बताएं | थायराइड टेस्ट में सबसे पहले डॉक्टर आपको टी एस एच या टी 4 टेस्ट के लिए कह सकता है | आइये अब जानते हैं थाइरोइड से जुड़े टेस्ट्स के बारे में |
टी एस एच परीक्षण – TSH Test in Hindi
टी एस एच यानि थाइरोइड स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन | ये हॉर्मोन पिट्यूटरी ग्लैंड (pituitary gland) में बनता है | टी एस एच नाम का ये हॉर्मोन थाइरोइड ग्रंथि तक पहुँच कर टी 4 और टी 3 हॉर्मोन रिलीज़ करवाता है | रक्त में tsh का सामान्य स्तर 0.4 – 5 mU/mL होता है |
अगर आपके रक्त में इसकी मात्रा सामान्य की तुलना में अधिक है तो आपको हाइपोथायरायडिज्म की शिकायत हो सकती है | इसका अर्थ ये होता है कि आपकी थाइरोइड ग्रंथि प्रयाप्त मात्रा में टी 3, और टी 4 हॉर्मोन्स का निर्माण नहीं कर रही |
जिसके कारण से पिट्यूटरी ग्लैंड से जो थाइरोइड स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन का निर्माण हो रहा है उसकी मात्रा रक्त में बढ़ती जा रहे है | कई बार गर्भावस्था में और कुछ दवाओं को लेने से भी टीएसएच का स्तर बढ़ जाता है |
लेकिन अगर रक्त में tsh का लेवल सामान्य की तुलना में कम हो तो आपको हाइपरथायरायडिज्म की समस्या हो सकती है | टी एस एच परीक्षण से पता चल जाता है कि आपको थाइरोइड की समस्या है या नहीं | लेकिन इस समस्या का कारण और प्रकार का पता लगाने के लिए एक से दो टेस्ट ओर करवाने पड़ते हैं |
टी 4 परीक्षण – T4 Test in Hindi
टी 4 टेस्ट को थायरोक्सिन टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है | रक्त में टी ४ का सामान्य स्तर 5 – 12 µg/dL है | अगर आपके खून टेस्ट में टी 4 का लेवल कम है तो आपको हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है और अगर रक्त में टी 4 का लेवल अधिक होता है तो यह हाइपरथायरायडिज्म की वजह से हो सकता है |
रक्त में tsh का स्तर असामान्य आने के बाद थाइरोइड की समस्या का कारण समझने के लिए टी 4 टेस्ट करवाया जाता है | कुछ दवाएं और प्रेगनेंसी भी टी 4 के लेवल को प्रभावित कर सकती है | टी एस एच हॉर्मोन थायराइड ग्रंथि को स्टिमुलेट करती है जिसके बाद थायराइड ग्रंथि से टी 3 और टी 4 हॉर्मोन्स रिलीज़ होते हैं |
टी 3 परीक्षण – T3 Test in Hindi
टी 3 टेस्ट रक्त में ट्राईआईडोथय्रोनिन (triiodothyronine) का स्तर मापने के लिए किया जाता है | ये टेस्ट tsh और टी 4 टेस्ट के बाद तब करवाया जाता है जब इन दोनों टेस्ट का परिणाम हाइपरथायरायडिज्म दिखाया गया हो | यह टेस्ट तब भी करवाया जाता है जब रक्त आपको हाइपरथायरायडिज्म की समस्या हो लेकिन sh और टी 4 का लेवल रक्त में ज्यादा न हो |
रक्त में टी 3 का सामान्य स्तर 100–200 ng/dL होती है | टी ३ के लेवल से ओवरएक्टिव थाइरोइड का कारण जानने में मदद मिलती है | अगर रक्त में टी 3 का लेवल बहुत अधिक हो तो इसका कारण ग्रेव्स डिजीज हो सकता है जो कि हाइपरथायरायडिज्म से जुड़ा एक ऑटो इम्यून डिसऑर्डर है |
थाइरोइड एंटीबाडी परीक्षण
हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली बिमारियों से हमारे शरीर की रक्षा करती है जिसके लिए हमारे शरीर में एंटी बॉडीज का निर्माण होता रहता है लेकिन कई बार शरीर की रक्षा करने वाले ये एंटी बॉडीज ही थाइरोइड ग्रंथि को नुक्सान पहुँचाना शुरू कर देते हैं |शरीर में एंटी बॉडीज का निर्माण करने वाली ब्लड सेल्स को लिम्फोसीटेस (lymphocytes) कहते हैं | जब ये वाइट ब्लड सेल्स कुछ ऐसे एंटी बॉडीज का निर्माण करने लग जाती है जो कि या तो थाइरोइड ग्रथि को डैमेज करती है या अधिक स्टिमुलेट कर देती है |
तब थाइरोइड की बीमारी जनम लेती है | इस टेस्ट से ये पता लगाया जाता है कि थाइरोइड हाशिमोटो या ग्रेव्स डिजीज किस कारण से हुआ है |
रेडियोएक्टिव आयोडीन अपटेक
ये एक बिना खून की जांच वाला थाइरोइड टेस्ट है | इसमें मरीज को एक कैप्सूल के रूप में रेडियोएक्टिव आयोडीन निगलना होता है | रेडियो एक्टिविटी की जांच से डॉक्टर पता लगाते हैं कि थाइरोइड ग्रंथि के द्वारा कितना रेडियोएक्टिव आयोडीन प्रयोग किया गया |जिससे थाइरोइड ग्रंथि की क्षमता का पता लगाया जाता है | अगर रेडियोएक्टिव आयोडीन अपटेक बहुत अधिक है तो इसका अर्थ है हाइपरथायरायडिज्म जबकि अगर रेडियोएक्टिव आयोडीन अपटेक कम हो तो इसका अर्थ है की थाइरोइड ग्रंथि अंडर एक्टिव है |
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